Wednesday, 23 April 2014

उन पलो को सम्हाल कर रखना है....!!!

उन पलो को सम्हाल कर रखना है....
जिन पलों में..
मैंने तुम्हे हँसते मुस्कारते देखा...
जिन पलों में...
मेरे कदमो से तुम्हारे कदमो को मिलाते देखा....
उन कदमो के निशानों को न मिटने देना है..!! 

उन पलो को सम्हाल कर रखना है....
जिन पलो में..
थी तुम्हारी आखों की वो शरारते....
मेरे होटों पे अनकही सी शिकायते...
उस कशिश को कम नही होने देना है.....!!

उन पलों को सम्हाल कर रखना है...
जिन पलो में...,
सामिल थी इंद्रधनुष से रगों की चाहते तुम्हारी,
ख़ामोशी और मेरी कभी न खत्म होने वाली बाते..
उन बातो दोहराते रहना है......!!

उन पलों को सम्हाल कर रखना है.....
जिन पलो में...
तुम्हारा इनकार के साथ इकरार छिपा था,और..
मेरा इकरार के साथ इंकार शामिल था...
उसी हां ना में अभी कुछ दिन....और...
खुद उलझा कर रखना है........!!

उन पलों को सम्हाल कर रखना है...
जिन पलों में...
सामिल था हमारा वो सबसे नजरे बचा कर,
इक-दुसरे की आखों में देखना...
वो कुछ न कह कर हमारा समझ लेना....
अभी कुछ और उन आखों को पढना है ....
उन पलों को सम्हाल कर रखना है........!!!

14 comments:

  1. आपकी कविताओं का वही रंग इतने दिनों बाद भी बरकरार है.. भावों को बख़ूबी बयान किया है आपने!!

    ReplyDelete
  2. वो मुझे उड़ती पतंगों के बहाने देख ना
    आते रहना शाम को रोज़ाना छत पर याद है...

    ReplyDelete
  3. सम्हले रहेंगे सभी पल स्मृतियों में...
    सुन्दर !!

    अनु

    ReplyDelete
  4. वाह बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  5. बहुत ही सुंदर.....

    ReplyDelete
  6. bahut bahut sundar rachna aur sanjoye huye pal ..!

    ReplyDelete
  7. प्रेक के गहरा भाव लिए ..
    भावपूर्ण रचना ...

    ReplyDelete
  8. यही पल फिर किसी वर्तमान को रंगीन बना देंगे। बहुत भावभीनी रचना।

    ReplyDelete
  9. Bahut hi sundar rachna hai.

    ReplyDelete
  10. हमेशा की तरह खूबसूरत भाव ... बहुत सुन्दर

    ReplyDelete