Tuesday 27 May 2014

कुछ देर और ठहरो साथ मेरे....!!!

कुछ देर और ठहरो साथ मेरे...              
अरसे बाद कुछ लिख रही हूँ मैं....!

कुछ दूर और चलो साथ मेरे,
सदियों से मंजिलो की तलाश में...
भटक रही हूँ मैं....!

कुछ पल और थाम लो हाथ मेरा,
कि फिर एक बार गिर कर..
सम्हाल रही हूँ मैं.......!

कुछ और ख्वाब देख लो तुम साथ मेरे,
कि अरसे से एक ख्वाब के लिए जाग रही हूँ मैं.....!

कुछ दूर और समेट लो मेरे वजूद को,
कि फिर प्यार में.....
टूट कर बिखर रही हूँ मैं...!!!

21 comments:

  1. बेहतरीन अभिव्यक्ति...

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  2. सुंदर भाव, मन को छू जाती पंक्तियाँ... इस खूबसूरत रचना के लिए बधाई स्वीकारें..

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  3. बहुत सुन्दर रचना ...सुन्दर भाव
    भ्रमर५

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  4. har shabd bahut sundar.

    khaaskar-
    कुछ दूर और समेट लो मेरे वजूद को,
    कि फिर प्यार में.....
    टूट कर बिखर रही हूँ मैं...!!!

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  5. बहुत भावभीनी रचना।

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  6. कल 30/मई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  7. खुद ही बिखरे वजूद को समेटना पड़ता है जब वह किसी की उम्मीद में बिखरा हो
    अच्छी कृति

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  8. खुद ही बिखरे वजूद को समेटना पड़ता है जब वह किसी की उम्मीद में बिखरा हो
    अच्छी कृति

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  9. बहुत सुन्दर..

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  10. कुछ और ख्वाब देख लो तुम साथ मेरे,
    कि अरसे से एक ख्वाब के लिए जाग रही हूँ मैं.....!
    bahut sunder bhav
    badhai
    rachana

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  11. bhavpurn- utam-***

    blog ka name bhi bhut appealing hai

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  12. बहुत सुंदर रचना

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  13. प्रेक का मीठा सा एहसास लिए ...
    भावमय प्रस्तुति ...

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  14. bahut sundar rachna ............badhai

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  15. प्रेम से लबालब सुंदर रचना .....शुभकामनायें|

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  16. bahut sundar aurbhaavpoorrn abhihvyakti ji

    बधाई स्वीकार करे और आपका आभार !
    कृपया मेरे ब्लोग्स पर आपका स्वागत है . आईये और अपनी बहुमूल्य राय से हमें अनुग्रहित करे.

    कविताओ के मन से

    कहानियो के मन से

    बस यूँ ही



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  17. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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