तुम्हारे लिए अपनी आखो में लहरो, को छुपा कर ला रही हूँ..... जब तुम देखोगे मेरी आखों में तो, समंदर कि गहराई और..... लहरो कि मस्ती दिखायी देगी.....! तुम्हारे लिए मुठ्ठी में अपने, कुछ सीप समेट कर ला रही हूँ..... जब तुम लोगे इन्हे अपनी हथेली में, तो कुछ रेत तुम्हारे हाथो से, लिपटती जायगी......!
तुम्हारे लिए अपनी तरफ, बढ़ती लहरो कि आवाज़.....वो गरजता समंदर दिल में समेट कर लायी हूँ.... जब तुम मेरी धड़कनो को सुनोगे तो, थिरकती हर धड़कन सुनायी देगी......!!!
ये कोहरे कि धुंध, और बादलो से घिरा आसमां.... ठंड से कांपता सारा जहां, इन सब से दूर मैं तुम्हारे, ख्यालो में खोयी सी.....! कोहरा कितना ही गहरा हो, मेरी आखों को तुम्हारा, चेहरा साफ़ दिखायी देता है... ये सूरज को छिपाते बादल भी, मुझे तुम्हारे ख्यालो में, जाने से रोक नही पाते है....! ये सर्द हवाये भी मुझे तुम्हारी साँसों... कि गर्मी का एहसास दिलाती है, ये ठिठुरती ठंड कि तनहा लम्बी राते.... और तुम्हारी कभी न खत्म होने वाली बाते, मेरी जागती आखों को ख्वाब दिखाती है......!! ये कोहरे कि धुंध, और बादलो से घिरा आसमां.... ठंड से कांपता सारा जहां, इन सब से दूर मैं तुम्हारे ख्यालो में खोयी सी....! अपने कांपते हाथो से, जिंदगी के पन्नो को पलटती हूँ... और धुंध को चीरती हुई बीते.. लम्हो कि तस्वीर देखती हूँ.... तुम्हारी यादो में कितनी बार.... टूटती और बिखरती हूँ.….....!!!
रोज़ कि तरह दिन आज भी निकला है पर कुछ उदास सा लग रहा है.… सर्द रात के ढलते ही ठंठ से ठिठुरता दिन निकला है.... न जाने रात कौन सा ख्वाब देखा है मेरी आखो ने,कि, खुद को आईने में देखा डरी सहमी सी लग रही है मेरी आँखे.... अभी कुछ समझती कि बदलो की गड़गड़ाहट सुनाई दी.... ये क्या इतनी ठंठ में फिर से बारिश शुरू हो गयी.... अभी कल ही बात हुई तुमसे....तुमने कहाँ था..... कुछ कि अगर अब बारिश हुई तो बहुत नुक्सान हो जायेगा... तभी तो जब बारिश हुई तो तुम्हारी बात याद आ गयी... मैंने कल तो तुम्हे किसी तरह दिलासा देकर तुम्हे समझा लिया था, ये इम्तहान है जिंदगी के ये बता कर... तुमने कुछ देर के लिए मुश्किलो को भुला दिया था पर अब क्या कहूँगी तुमसे.....कैसे समझाउंगी तुमको...? तुम्हे मुश्किलो से टूटते हारते नही देख सकती हूँ..... इसी उलझन में उलझी-उलझी..... कुछ सोचते-सोचते अपने लिए चाय बनाने लगी...... कप को हाथो में लेकर पीने के लिये बैठी पर कुछ खोयी सी, सोच रही थी कि तुम ना जाने क्या सोच रहे होगे..... कही बहुत परेशान तो नही होगे..? कुछ देर तुमसे ध्यान हटा कर... खुद के बारे में सोचा तो खुद पर हंस पड़ी, कि तुम्हारी एक मुश्किल मेरी जिंदगी कि....सारी मुश्किलो के सामने बहुत बड़ी लग रही थी... खुद टूट जाउंगी....तुम्हे टूटने नही दूंगी....तुम्हे हारने नही दूंगी.... हम प्यार में कितने कमजोर और कितने मजबूत हो जाते है...आज पता चला जब तुम्हारी हर छोटी से छोटी परेशानी मुझे भी परेशान कर देती है... अपनी मुश्किलो के हल मिले न मिले.. पर तुम्हारी हर मुश्किल का हल होता है मेरे पास..... लो तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते चाय ठंठी हो गयी.... चलो फिर से चाय बनाती हूँ......और साथ ही सोचती हूँ कि तुम्हे समझाउंगी... कि जिंदगी इन छोटी-छोटी मुश्किलो से हरा नही करती...... और मुझे यकीन है कि तुम्हे फिर से जिंदगी से लड़ कर जितना सिखा दूंगी.... बशर्ते इस सच को तुमसे छिपा लूंगी कि....... मैं बहुत पहले ही जिंदगी और तुमसे हार चुकी हूँ.......!!!
मेरी कविताओ की धड़कन हो तुम... मैंने एहसास लिखे है शब्दो में, तुम्हारे साथ बीते लम्हो के, हिसाब लिखे है शब्दो में.... मेरे शब्दो कि बेचैनी, इनकी तड़पन हो तुम.... मेरी कविताओ की धड़कन हो तुम....! तुम्हारे लिए जो किया श्रृंगार, लिखा है शब्दो में.... तुम्हारे लिए जो छिपा है दिल में, वो प्यार लिखा है शब्दो में.... मेरी चूड़ियों कि खनखन हो तुम.... मेरी कविताओ की धड़कन हो तुम....! मेरे होठों पर जो सजते है, तुम्हारे गीत लिखे है शब्दो में... तुमसे रूठते-मानते,अपनी हार तुम्हारी जीत... लिखी है शब्दो में..... मेरी साँसों में रहते हो तुम.... मेरा तो पूरा जीवन हो तुम.... मेरी कविताओ की धड़कन हो तुम....!!!