अज़ब जिन्दगी की कशमकश से गुज़र रही हूँ मैं,
जो हो रहा है वो समय की नियति है,

जिसे पाने की सारी उम्मीदे खत्म हो चुकी है,
फिर भी उसी का इंतज़ार कर रही हूँ मैं.....
सपने सारे टूट चुके है,
दर्द हद से गुज़र चूका है,
होटों पे मुस्कान लिए,
सब कुछ होते देख रही हूँ मैं.....
फिर भी उम्मीदों और आशाओं का हाथ थामे,
न जाने कहाँ चलती जा रही हूँ मैं,.
अज़ब जिन्दगी की कशमकश से गुज़र रही हूँ मैं......
दिल और दिमाग की जंग में
जीत हर बार दिल की हो रही है......
हकीकत को बूरा ख्वाब मान कर,
ख्वाबो में जी रही हूँ मैं.......आजकल,
अज़ब जिन्दगी की कशमकश से गुज़र रही हूँ मैं.....