Wednesday, 24 August 2011

क्या चाहती हूँ मैं?


                                 हर बार मैं कहती हूँ..                               
जो मैं चाहती हूँ,
वो नही होता है.

फिर एक दिन खुद से पूछ बैठी 
आखिर क्या चाहती हूँ मैं?
क्या जो चाहती हूँ मैं,वो होता,
तो क्या सब ऐसा ही होता?

जो हो रहा है क्या मैं,
सच में नही चाहती थी?
एक सवाल के जवाब की तलाश में,
हजारो और सवालो में उलझ गयी मैं!

कितना आसान था ये कहना,
कि जो मैं चाहती हूँ वो नही होता है,
उतना ही मुश्किल था ये बताना,
कि क्या चाहती हूँ मैं?




Saturday, 20 August 2011

कान्हा में खो गयी.....!!!


सुध-बुध खोई बैठी,
                   "राधा"                   
कान्हा के प्यार में...
दूजी ना ऐसी प्रीत हुई 
इस संसार में..
तन,मन,धन से,
वह  कान्हा की हो गयी,
बिसरा के जग की रीति को,
कान्हा में खो गयी! 

Thursday, 11 August 2011

आज़ाद हर इक दिन होगा... !!!


आज़ादी कह देने से या कोई इक दिन
आजादी का जशन मना लेने से
ना ये देश आज़ाद होगा
हम कितने आज़ाद है
इस आजादी के बाद
अब इसका हिसाब होगा.

आजादी को कोई एक दिन, एक शब्द में
न बताना अब पर्याप्त होगा
आज़ाद तो हम तब होगे
जब हर शख्स की आँखों का
पूरा हर एक ख्वाब होगा

दिलाई है आजादी हमको
जिन शहीदों ने
उनके हम ऋणी है
ये कहना न अब पर्याप्त होगा
जाति-पाति,भेदभाव,ऊच-नीच
के बन्धनों से जब हम आज़ाद होगे
तब सफल इनका बलिदान होगा..

करते है आज संकल्प
तन से तो हो गए हम आज़ाद
अब मन को भी करना
आज़ाद होगा...

अगर एक साथ मिलकर
हम खड़े हो जाए
पूरी दुनिया को हमारी शक्ति पर
विश्वास होगा..

दायरा अगर अपनी सोच का
आसमां से भी कर दे ऊँचा 
इक  दिन ही नही आज़ाद
आज़ाद हर इक दिन होगा... !!!

Saturday, 6 August 2011

जिनको ढूंढ़ रही हूँ....!!!


बिखर गयी हूँ ऐसे,                               
फिर से बिखरे टुकड़ों को जोड़ रही हूँ 
खो गयी अपने बचपन में,
अपने बिछड़ी सखियों को ढूंढ़ रही हूँ...


क्या खेलोगी मेरी साथ, 
मैं उनसे पूछ रही हूँ  
वो मुझको मना रही है,
मैं उनसे रूठ रही हूँ..


उस लुका-छिपी के खेल में,
सब सखिया छिप गयी थी कही,
मैं आज भी दुनिया की भीड़ में,
जिनको  ढूंढ़ रही हूँ... 

Friday, 5 August 2011

एक लब्ज़ है "दोस्ती"..!!

एक लब्ज़ है "दोस्ती"                              
अपने अन्दर सारी कायनात समेटे हुए,
इसकी परतो में जिंदगी की अनगिनत,
सच्चाईया लिपटी हुई हैं..
ये जिंदगी के विरानो में,
खिला एक फूल हैं...
जिसकी खुशबू से संसार महकता है....!!!