परिवार एक था...
बच्चो के लिए माता-पिता का प्यार एक था....
घर एक था...
घर का द्वार एक था.....
ना जाने कैसे सबकी चौखटे अलग हो गई....
देहरी अलग हो गयी....
रिश्तों में खटास आ गयी,
एक ही माता-पिता के बच्चो के परिवार अलग हो गए...कुछ वक़्त तो त्योहार एक हुआ करते है..
समय भी बदल गया अब तो त्योहार अलग हो गए...परिवार अलग हो गए.....
ना जाने किस सुख के पीछे हम,अकेले ही भागे जा रहे है...कुछ देर ठहर कर सोच तो लो...
सुकून तो सिर्फ परिवार के साथ मिल जाएगा...
एक पल ऐसा भी आएगा,
हमारे पास धन-दौलत तो बहुत होगी,
बस खर्च करने वाले रिश्ते छूट जायँगे..
नाम-शोहरत तो होगी,
पर हमारे साथ जश्न मनाने वाले पीछे छूट जायँगे.. परिवार अलग हो गए....
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