कुछ ख्वाइशें ऐसी भी होती है,
जो चाहते तो है कि पूरी हो जाये,पर पूरी होने से भी डर लगता है...जिंदगी ऐसे भी मोड़ लाती है....#आहुति#
कुदरत हमसे हर ख्वाइश की कीमत ले ही लेती है..
किसी ना किसी रूप में..
डर सा लगता है कुदरत से कुछ भी मांगने से,
ना जाने वो उस ख्वाइश की क्या कीमत लगा ले.....
कहते है ना मुकम्मल तो कुछ भी नही मिलता.. .#आहुति#
हमारे तुम्हारे साथ को कभी साबित करने की जरूरत नही होगी,क्यों कि जो साबित किया जाये को साथ ही नही है...प्यार तो सिर्फ महसूस किया जाता है,जो किसी तोहफे से बयां नही किया जाता है...प्यार का विश्वास तो तुम्हारी आँखों मे दिखता है,जो कहने से समझा नही जाता, जरूरी ये भी नही कि जो तुम्हे पसंद हो वो हमें भी पसंद हो,और जो मुझे पसंद हो,वो तुम्हे भी पसंद हो...पर हमें एक दूसरे की पसंद और इच्छा का सम्मान करना आना चाहिए...हमारा साथ में किसी भी जबरदस्ती के लिए कोई जगह ना हो...सहज ही एक दूजे की बातों को समझना ही प्यार है...जहाँ एक दूजे के परिवार का सम्मान बिना कहे हम एक-दूसरे के लिए करते रहे..ना तुम्हे कोई शिकायत हो,ना मुझे कोई शिकवा हो....
ऐसा है साथ हमारा....#आहुति#
ना जाने क्यों मन बहुत बेचैन है कुछ खो देने का डर है,...कुछ पाना भी चाहती हूं,बहुत सिद्दत से,...पर कुछ चाहते गर पूरी भी हो जाये,तो उनके पूरे होने से डर लगता है...ये बहुत कम होता है,पर एक बार जीवन मे जरूर होता है...जब आप जो पाना चाहते है,पर पाना नही चाहते है...ये भी अजीब एक कशमकश रहती है...#आहुति#
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