पैरों में पाज़ेब बांध कर मैं तुम्हारे आंगन में,
झूमना चाहती हूं...
घुंघुरुओ की छम-छम के साथ,
तुम्हारे सुरों को अपने सुरों में पिरोना चाहती हूं....
मैं तुम्हारी तुम्हारी बातो का जवाब,
अपने घुंघुरुओ की छम-छम से देती,
तुम मेरे घुंघुरुओ के लहजे से समझ जाते,
अंदाज़ मेरे रूठने और मानने के..
कभी जो ना छनकती मेरे घुंघुरुओ की आवाज़,
तो मेरे उदास होने के इशारे समझ जाते....!!!
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