कभी तुम्हारे साथ..
सुबह की पहली किरण देखना चाहती हूं,
तुम्हारे साथ..
शाम को ढलते हुए देखना चाहती हूं..
तुम्हारे साथ...
चांदनी रात में बैठ कर बाते करना चाहती हूं..
पूरी दुनिया देख पाऊं या ना पाऊं..
पर तुम्हारी आँखों मे पूरी दुनिया की,
खुशियां देखना चाहती हूं...
तकदीरों में क्या लिखा है,ये नही जानती,
पर तुम्हारी हथेलियों में..
अपना चेहरा देखना चाहती हूं...
तुम्हारे साथ उम्र का,
हर पड़ाव देखना चाहती हूं,
तुम्हे मेरी भी उम्र लग जाये..
मैं साथ तुम्हारे बूढ़ी होना चाहती हूं...
धुंधली होती आँखों की रोशनी के साथ,
मैं सिर्फ तुम्हे देखना चाहती हूं..!!!
Saturday 11 August 2018
सिर्फ तुम्हे देखना चाहती हूं..
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