ये बारिशें तुम्हारे मेरे साथ की,
गवाह बन गयी है,
बूंदों ने संग-संग हमे जो छू लिया है..
कुछ और वो भी जवां हो गयी है..
गीली मिट्टी की खुसबू,
हमारी सांसो में यूं घुल गयी है,
दूर क्यों ना हो इक-दूजे से हम,
हमारे साथ को समेटे हुए,
हवाएं भी चलने लगी है...
पेड़ो से झरते ये फूल और पत्तियां,
तुम्हारी मुस्कराहटो पर न्योछावर हुए जाते है,
मैं नही हूँ जो कभी तुम्हारे साथ तो क्या,
तुम्हारी राहो में झरते गुलमोहर,
मेरा प्यार बन कर बिछे जाते है..
जब कभी भी काली घटाएं जो छा जाये,
बादल जो तुम्हे छूने को बेकरार होकर घिर आये,
तो समझ लेना,मैं आयी हूँ तुम्हारे पास,
संग अपने ले जाने को..!!!
Sunday, 8 April 2018
संग अपने ले जाने को..!!!
Saturday, 7 April 2018
खुद को हार कर जीत लिया है...!!!
इक बार मैं फिर उसे समझा रही थी,
तुमने उसे सालो दे दिए,
फिर भी उसे समझ नही पायी हो..
किसी ने उसे अपने लम्हे दिए,
और तुमसे ज्यादा वो उसे समझती है...
क्यों कि तुम उसका सहारा बनना चाहती थी,
और वो उसका हर कदम साथ देना चाहती है..
जाने कैसे तुम उसकी आँखों मे,
वो खुशी नही देख पा रही हो,
जो अब उसकी आँखों मे,
उसके साथ के साथ दिखती है..
तुममे और उसमें सिर्फ फर्क है इतना,
तुम जीत कर उसे जीतना चाहती हो,
और उसने खुद को हार कर,
उसे जीत लिया है..!!!
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