समर्पण में प्यार ढूंढ रही थी....
पर यहाँ तो सिर्फ दिखावा चलता है....
आप अगर समर्पित हो तो ,
आपको मूर्ख घोषित किया जाता है......
आप रिश्तो में झुकते है ,
तो आपको कमजोर समझा जाता है....
आपके बहुत बोलने पर भी जब कोई सुनता नही....
तो आप के खामोश हो जाते है...
समझता तब भी नही कोई....
आपकी खामोशी को भी ,
आपका गुरुर समझ लिया जाता है...
आप भावुक है, आपकी भावनाओं को ,
जब कोई ठेस पहुचाये तो आप रो देते है...
तो आपके रोने को नौटंकी समझ लिया जाता है....
आप लड़ाई नही चाहते....लालच नही करते,
अपने हिस्से का भी अगर आप छोड़ देते है....
तो आपको चालक समझ लिया जाता है...
आप रिश्ते निभाते है..
जिम्मेदारियों के लिए जिंदगी में
ना जाने कितने त्याग करते है...
निस्वार्थ हर कर्त्तव्य पूरा करते है...
पर ये तो लोग है साहब.....
आपकी ईमानदारी,त्याग के पीछे भी ,
आपका स्वार्थ ढूंढ लेते है....
अब क्या करे समझने को कोई कुछ भी समझे....
हम तो भाई ऐसे है....ऐसे ही रहंगे.....#आहुति#
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