इक दोस्त ऐसा भी होना चाहिए..जो डाक पेटी की तरह हो,जिसमे अपने मन की सारी बाते चिट्ठियों में लिख कर,बिना पते की...उसमे छोड़ आये...बस खुद ही पढ़ ले वो,ना किसी को वो सुनाए..ना कहीं वो पहुचाये....जब कभी किसी के साथ मुझे देखे..अनजान बन खड़ा मुस्कराए...दोस्त भी ऐसा हो.. जो मेरा सब कुछ खुद में समेट कर मुझसे ही अजनबी हो जाए...#आहुति#
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