लो दिसम्बर भी जा रहा है,
ना जाने कितने सवाल मन मे लेकर...
पता नही इस साल का शुक्रिया करू,
या शिकायत करूँ...
कुछ पाया है,
तो कुछ खोने की कीमत भी चुकाई है...
गिनती करने बैठूँ तो,
शायद मुस्कराने से ज्यादा रोई हूँ इस साल....
पर शायद ये साल हर किसी की जिंदगी में,
कोई ना कोई दर्द दे कर जा रहा है....
एक ऐसी टीस जो कभी नही भर सकेगी....
कुछ तारीखे ऐसी भी थी,
जिन्हें दोबारा कैलेंडर में देखना भी नही चाहती हूं,
बस में हो तो वो तारीखे ही कलेण्डर से मिटा दूं...
क्यों कि जब वो तारीखे खुद को दोहराती.....
दर्द फिर दोहरा जाता है..
इस साल खुशियां कब आयी कब चलेंगी,
पता ही नही चला...पर हाँ...
दर्द हर पल लुका-छिपी खेलता रहा,
जैसे ही कोई मौका मिले हम झपट लेता...
पहली बार देखा कि वक़्त के आगे,
ईश्वर की भी कोई नही चलती...
हम जान भी गर दे देते..
तो भी जो होना है वो ही जाता है...
कब हम जनवरी से दिसम्बर आ गया,पता ही नही चला.....#आहुति#