Wednesday 15 April 2015

तुम्हे ख़त लिखूंगी.....!!!

मैं तो यूँ ही हर रोज...
तुम्हे ख़त लिखूँगी.....
लम्हे लिखूंगी...पल लिखूंगी.....
तुम्हारी यादो में,
कितनी धड़कती है...
धड़कने लिखूंगी....
तुमसे मिलने के पल,
तुमसे बिछड़ने के,
लम्हे लिखूँगी....
मैं अपने बीते हुये कल,
तुम्हारे साथ...
आने वाले कल लिखूंगी.....
मैं हर रोज़ यूँ ही...
तुम्हे ख़त लिखूँगी....
ढलती शामो की,
कहानी लिखूंगी..
उगते सूरज की,
जुबानी लिखूंगी...
तुम बिन कैसे कटती है..
जिंदगानी लिखूंगी...
मैं हर रोज...तुम्हे खत लिखूंगी.....
कृष्ण की राधा क्यों है....
दीवानी लिखूंगी..
मैं बांवरी....तुमको पिया,प्रिय,
'साजन' लिखूंगी....
मैं तुम्हे खतो में....
अपना मन लिखूंगी...
मैं हर रोज...
तुम्हे ख़त लिखूंगी.....

3 comments:

  1. खुबसूरत दिल की कहानी.....मैं ख़त की जुबानी लिखूंगी ....
    शुभकामनायें ...

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  2. बहुत खूब.... लाजवाब !!!
    बधाई स्वीकारें

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