कुछ देर और ठहरो साथ मेरे...
अरसे बाद कुछ लिख रही हूँ मैं....!
कुछ दूर और चलो साथ मेरे,
सदियों से मंजिलो की तलाश में...
भटक रही हूँ मैं....!
कुछ पल और थाम लो हाथ मेरा,
कि फिर एक बार गिर कर..
सम्हाल रही हूँ मैं.......!
कुछ और ख्वाब देख लो तुम साथ मेरे,
कि अरसे से एक ख्वाब के लिए जाग रही हूँ मैं.....!
कुछ दूर और समेट लो मेरे वजूद को,
कि फिर प्यार में.....
टूट कर बिखर रही हूँ मैं...!!!
अरसे बाद कुछ लिख रही हूँ मैं....!
कुछ दूर और चलो साथ मेरे,
सदियों से मंजिलो की तलाश में...
भटक रही हूँ मैं....!
कुछ पल और थाम लो हाथ मेरा,
कि फिर एक बार गिर कर..
सम्हाल रही हूँ मैं.......!

कि अरसे से एक ख्वाब के लिए जाग रही हूँ मैं.....!
कुछ दूर और समेट लो मेरे वजूद को,
कि फिर प्यार में.....
टूट कर बिखर रही हूँ मैं...!!!