मैं टूटना नही चाहती थी......
मैं गिर कर सम्हालना चाहती थी..
चाहे जैसी हो चलना चाहती थी
सिर्फ मैं टूटना नही चाहती थी....

मैं बिखर कर सिमटना चाहती थी....
सिर्फ मैं टूटना नही चाहती थी....
मैं लड़ना चाहती थी...
जीतना चाहती थी...
हारना चाहती थी....
सिर्फ मैं टूटना नही चाहती थी....
मैं एहसासों छुना चाहती थी....
सपनो को जीना चाहती थी...
सिर्फ मैं टूटना नही चाहती थी....
मैं शब्दों को गढ़ना चाहती थी....
लम्हों को पिरोना चाहती थी....
बन कर हवा तुम्हे छु कर गुजरना चाहती थी....
तुम्हारे साथ मैं हद से गुजरना चाहती थी.....
सिर्फ मैं टूटना नही चाहती थी....!!!