Friday, 1 March 2024

अब मुझे कोई दोबारा नही ठग पायेगा...

वक़्त के साथ कुछ रिश्ते छुटे है,तो नए बन भी जायँगे...
पर नए रिश्तो में पुराने रिश्तो में ठगा गया है
उसका दर्द भी होगा,अब शायद उस शिद्दत से रिश्तो को निभाने में कही कमी भी रह जाए...
अब वो गलतिया दोबारा नही होगी..
अब भावनाओ को ज्यादा तवज्जो ना देकर..जरूरत और फायदे नुकसान देखे जायँगे....
जितना मिलेगा,,उतना ही किसी रिश्ते के लिए किया जाएगा....जिनके पास वक़्त नही,उन रिश्तो पर ,
वक़्त यूँ ही नही खर्च किया जाएगा...
ये तो तय की  रिश्तो में अब मुझे कोई दोबारा नही ठग पायेगा...#आहुति#

Thursday, 5 October 2023

रिश्तो को नई उम्र दे जाते है...

दीवाली के दीयो की तरह हम रिश्तो को भी,
त्योहारों पर सबको इक्कठा करते है...
इन रिश्तो में प्यार,स्नेह, का तेल के डाल कर..
अपनापन की बाती लगाकर,
इन रिश्तो को रौशन कर लेते है..
घर के हर एक कोने में रिश्तो की खट्टी-मिठी यादे भर लेते है...
कि अगली दीवाली को फिर आने की आस लगाते है...
ये त्योहार ही है जो रिश्तो को नई उम्र दे जाते है...

Thursday, 13 April 2023

इन भटकती राहो में..

इन भटकती राहो में..आखों में सिर्फ एक इंतजार...
कोई हाथ पकड़ ले, खुद से पहचान करा दे...
कोई बिठा ले साथ अपने ,
अपनी आँखों से मुझे भी कुछ सपने दिखा दे...
रो लुंगी में तन्हा,कोई साथ अपने मुस्कुराना सीखा दे...उम्मीदे बहुत दी है मैंने भी,साहस भी बनी हूँ.. 
पर इस बार बिखरी हूँ इस कदर, 
कोई मुझे टूट कर फिर से उठना सीखा दे..

Monday, 1 August 2022

किसी अनजाने के साथ...

कभी निकल जाऊं में किसी ऐसे सफर पर..
जिसकी राहो का मुझे पता ना हो...
कही बैठ जाऊं किसी अनजाने के साथ,
कह दूं सारी मन की बाते...
जो मुझे जानता ना हो...
समझने समझाने से परे,
ना ही किसी से शिकायत हो...
बस हर राह से गुजर जाऊं,
वही शून्य की तलाश में जहां से मैं शुरू हुई थी....
वही शून्य जिसमे सांसे जुड़ती गयी..
और मैं जिंदगी के गणित में उलझती चली गयी...
मैं खुद को कही छोड़ दूं, ये जिंदगी के जोड़-घटाना में, 
सब कुछ घटा कर...खुद को खाली कर दूं....
और निकल जाऊं किसी ऐसे सफर पर, 
जिसकी राहो का मुझे पता ना हो..

Wednesday, 9 March 2022

बाते...

पहले मैं अपने दिल की हर बात तुमसे कहती  थी...
जो कोई नही सुनता था वो हर बकवास तुमसे कहती थी...बेपरवाह, झल्ली सी थी...बेवजह ही ना जाने कितनी बाते करती थी...जब से तुमने सुनना छोड़ दिया है...अब शांत हो गयी हूँ... तब से जो तुम सुनना चाहते हो...बस वही बाते तुमसे होती है....पहले वक़्त कब तुम संग गुजर जाता था..पता ही नही चलता था...अब वक्त बहुत तन्हा मिलता है..खुद से बाते करने का....लोग तो ये भी कहने लगे है.. पागल है.. ना जाने क्या यूँ ही बड़बड़ाती रहती है.. उन्हें नही पता.. बाते कितनी और कैसी करनी है तुमसे अब..बस ये ही....खुद को समझाती रहती हूं....#आहुति#

Wednesday, 26 January 2022

हम तो भाई ऐसे है....ऐसे ही रहंगे.....

समर्पण में प्यार ढूंढ रही थी....
पर यहाँ तो सिर्फ दिखावा चलता है....
आप अगर समर्पित हो तो ,
आपको मूर्ख घोषित किया जाता है......
आप रिश्तो में झुकते है ,
तो आपको कमजोर समझा जाता है....
आपके बहुत बोलने पर भी जब कोई सुनता नही....
तो आप के खामोश हो जाते है...
समझता तब भी नही कोई....
आपकी खामोशी को भी ,
आपका गुरुर समझ लिया जाता है...
आप भावुक है, आपकी भावनाओं को ,
जब कोई ठेस पहुचाये तो आप रो देते है...
तो आपके रोने को नौटंकी समझ लिया जाता है....
आप लड़ाई नही चाहते....लालच नही करते,
अपने हिस्से का भी अगर आप छोड़ देते है....
तो आपको चालक समझ लिया जाता है...
आप रिश्ते निभाते है..
जिम्मेदारियों के लिए जिंदगी में
ना जाने कितने त्याग करते है...
निस्वार्थ हर कर्त्तव्य पूरा करते है...
पर ये तो लोग है साहब.....
आपकी ईमानदारी,त्याग के पीछे भी ,
आपका स्वार्थ ढूंढ लेते है....
अब क्या करे समझने को कोई कुछ भी समझे....
हम तो भाई ऐसे है....ऐसे ही रहंगे.....#आहुति#

Tuesday, 25 January 2022

साइलेन्ट लव....!!!

साइलेन्ट लव....

सुनो....इन दोनों के बीच कुछ साइलेन्ट सा लगता है....
जो दिखता तो नही...जब दोनों आमने-सामने होते है...बहुत गहरा सा कुछ महसूस होता है.....
यही कहा था हम दोनों को देख कर किसी ने....उस वक़्त सुन कर मुस्करा दिया था हमने...और आज भी साइलेन्ट सा कुछ सोच  कर मुस्करा देती हूं.....
हाँ...साइलेन्ट सा कुछ था तो....

अच्छा सुनो.....क्या आज भी तुम जब गुजरते हो,उस दरख़्त से तो तुम्हारे कदम ठिठकते है...क्या तुम्हें भी याद आता है....पहली बार मुझसे मिलना.....वो बाते,वो हँसना...वो साथ-साथ चलना....

अच्छा छोड़ो....तुम बताओ ...कितने साल,कितने दिन गुजर गये...हम सालो से मिले नही....हमारे बीच ना जाने कितने मौसम गुजर गए...फिर भी लगता है जैसे  कल ही कि बात हो....बिल्कुल फिल्मी सा था साथ हमारा...आँखों-आँखों का था प्यार हमारा....बातो से ज्यादा खत लिखे थे हमने...साथ नही थे फिर भी साथ-साथ चलते थे....
हाथों को कभी नही थामना हमने, फिर भी हमारी उंगलियां टकरा जाती थी....हम कहते तो कुछ नही थे...पर बाते सब हो जाती थी.....कोई समझ नही पाता था हमको....बस ये कहते थे....कुछ तो है साइलेंट सा.....☺️☺️