Tuesday, 5 August 2025

किसी का जाना यूँ स्वीकार नही किया जाता...

किसी का जाना यूँ स्वीकार नही किया जाता,मन को मार कर,खुद को इग्नोर करके,उनकी यादो को स्किप कर दिया जाता है,दिख जाए तो उसकी तस्वीर तो हम उनसे आँखे चुराते है,घाव फिर हरे ना जो जाए,बस उसकी हर याद से भागते है...वो कमरा, वो बिस्तर,वो कपड़े जो कुछ उनका समान होता है,रखना सहेज कर चाहते है,पर दोबारा देखना नही चाहते...जब कभी जो धोखे से जो उनका कुछ कहा सामने आ जाता है,तो जैसे दिल फट सा जाता है...मन स्वीकार ही नही कर पाता उनका जाना...जब कि ये शाश्वत है कोई नही आया यहाँ उम्र भर के लिए..फिर दिल कहता है कि कुछ देर और ठहर जाता शाम तक.....#आहुति# 

Tuesday, 6 May 2025

एक चुप्पी....!!!

कब एक चुप्पी दो लोगो के बीच घर कर लेती है... 
कि घर में सिर्फ उस चुप्पी का ही शोर ,
इतना ज्यादा होता है...
कि अपनी भी बाते हम तक नही पहुँचती...
वो आखिरी बात क्या थी,
जिस पर हम नाराज हुए थे, 
वो आखिरी बात क्या थी ,
जिस पर हम खुल कर हँसे थे..
इस चुप्पी के सन्नाटे में कही भूल जाते है,
अब वक्त नही गुजरता,
इस गुजरते वक़्त के साथ हम गुजर रहे होते है......#आहुति#

Friday, 1 March 2024

अब मुझे कोई दोबारा नही ठग पायेगा...

वक़्त के साथ कुछ रिश्ते छुटे है,तो नए बन भी जायँगे...
पर नए रिश्तो में पुराने रिश्तो में ठगा गया है
उसका दर्द भी होगा,अब शायद उस शिद्दत से रिश्तो को निभाने में कही कमी भी रह जाए...
अब वो गलतिया दोबारा नही होगी..
अब भावनाओ को ज्यादा तवज्जो ना देकर..जरूरत और फायदे नुकसान देखे जायँगे....
जितना मिलेगा,,उतना ही किसी रिश्ते के लिए किया जाएगा....जिनके पास वक़्त नही,उन रिश्तो पर ,
वक़्त यूँ ही नही खर्च किया जाएगा...
ये तो तय की  रिश्तो में अब मुझे कोई दोबारा नही ठग पायेगा...#आहुति#

Thursday, 5 October 2023

रिश्तो को नई उम्र दे जाते है...

दीवाली के दीयो की तरह हम रिश्तो को भी,
त्योहारों पर सबको इक्कठा करते है...
इन रिश्तो में प्यार,स्नेह, का तेल के डाल कर..
अपनापन की बाती लगाकर,
इन रिश्तो को रौशन कर लेते है..
घर के हर एक कोने में रिश्तो की खट्टी-मिठी यादे भर लेते है...
कि अगली दीवाली को फिर आने की आस लगाते है...
ये त्योहार ही है जो रिश्तो को नई उम्र दे जाते है...

Thursday, 13 April 2023

इन भटकती राहो में..

इन भटकती राहो में..आखों में सिर्फ एक इंतजार...
कोई हाथ पकड़ ले, खुद से पहचान करा दे...
कोई बिठा ले साथ अपने ,
अपनी आँखों से मुझे भी कुछ सपने दिखा दे...
रो लुंगी में तन्हा,कोई साथ अपने मुस्कुराना सीखा दे...उम्मीदे बहुत दी है मैंने भी,साहस भी बनी हूँ.. 
पर इस बार बिखरी हूँ इस कदर, 
कोई मुझे टूट कर फिर से उठना सीखा दे..

Monday, 1 August 2022

किसी अनजाने के साथ...

कभी निकल जाऊं में किसी ऐसे सफर पर..
जिसकी राहो का मुझे पता ना हो...
कही बैठ जाऊं किसी अनजाने के साथ,
कह दूं सारी मन की बाते...
जो मुझे जानता ना हो...
समझने समझाने से परे,
ना ही किसी से शिकायत हो...
बस हर राह से गुजर जाऊं,
वही शून्य की तलाश में जहां से मैं शुरू हुई थी....
वही शून्य जिसमे सांसे जुड़ती गयी..
और मैं जिंदगी के गणित में उलझती चली गयी...
मैं खुद को कही छोड़ दूं, ये जिंदगी के जोड़-घटाना में, 
सब कुछ घटा कर...खुद को खाली कर दूं....
और निकल जाऊं किसी ऐसे सफर पर, 
जिसकी राहो का मुझे पता ना हो..

Wednesday, 9 March 2022

बाते...

पहले मैं अपने दिल की हर बात तुमसे कहती  थी...
जो कोई नही सुनता था वो हर बकवास तुमसे कहती थी...बेपरवाह, झल्ली सी थी...बेवजह ही ना जाने कितनी बाते करती थी...जब से तुमने सुनना छोड़ दिया है...अब शांत हो गयी हूँ... तब से जो तुम सुनना चाहते हो...बस वही बाते तुमसे होती है....पहले वक़्त कब तुम संग गुजर जाता था..पता ही नही चलता था...अब वक्त बहुत तन्हा मिलता है..खुद से बाते करने का....लोग तो ये भी कहने लगे है.. पागल है.. ना जाने क्या यूँ ही बड़बड़ाती रहती है.. उन्हें नही पता.. बाते कितनी और कैसी करनी है तुमसे अब..बस ये ही....खुद को समझाती रहती हूं....#आहुति#